रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Thursday, 21 May 2015
तेरि खुद
तेरि खुद लगदी मैं भारी,
ओखि बिंडी म्यारी लाचारी !!
बडुलि लगदी मी घुटि-घुटि,
पर क्या कन य पापी ड्यूटी,
घर औणा मन बोल्दु,
पर मिलदी नि जरा सी छुट्टी,
उनि दींदू मैं मन तैं मारी!!
परदेसी मुलुक बडू दूर छन,
त्वै बिगर कतै मणदु नि मन,
क्या जी कैमा जरा भि ब्वन,
भेद कैमा मन कु ख्वन,
क्वी नि छ अपड़ो हितकारी !!
भग्यान नि छ हमारू भाग,
अपड़ी सग्वाड़ी भि नी छ साग,
अधूरा छ हमारा सी राग,
आजुं होलि खुजाणि कति जाग,
या जाग आग द्यो न कखि मारी !!
तेरि खुद लगदी मैं भारी,
ओखी बिंडी म्यारी लाचारी !!
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
बौळयूँ पराण त्यारू खौल्यूँ रैजाण ,
बौळयूँ पराण त्यारू खौल्यूँ रैजाण ,
यक दिन सब्बि इखि छूटि जाण ॥
यु मनखि जनम करि ले तु करम ,
फेर नि पाण तिन फेर नि पाण ॥
कर दया धरम दुःखौ न कैकु भरम,
तब पछताण तिन तब पछताण ॥
लोभ लालच कु त्यारू सैरु फेरु,
इखि छूटि जाण चुचा इखि छूटि जाण ॥
ये जंजाळ मा अळझि अळझि ,
उनि रै जाण तेरि कुटीं पिसीं घाण ||
मान सम्मान झूठो मैं मैं कु ज्ञान ,
छोड़ि दे आज म्यारु बोल्यूं माण ॥
सुखों की खाण तेरि नि औण्या काम ,
जब छुटला पराण दगड़ा कैन नि जाण ॥
बौळयूँ पराण त्यारू खौल्यूँ रैजाण ,
यक दिन सब्बि इखि छूटि जाण ॥
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
तेरि आँख्यून मैं तैं गैल्या प्रीत सिखै ।
तेरि आँख्यून मैं तैं गैल्या प्रीत सिखै ।
प्रीत सिखै तिन गैल्या बिसरी न जै ॥
म्यरा मन नि पत्ता थो प्रीत क्या छै,
पर तेरि मिठ्ठी छुयूँन मैं तैं अळझै,
अब मन ख्याल आई जब तु नेडू नि रै ॥
बेखबर ये मन तें तु लूटि ल्ही गे ,
आँख्यूं आँख्यून तिन माया बिंगै,
अब समझु माया आई मन दियालि त्वै ॥
हरा भरा म्यरा मन तिन आग लगै
आग लगै तैंन गैल्या फेर नि बुझै,
जगदु मन फेर भि त्यारी जाग कन्नु रै ॥
बाळु पराण तू क्वांसु करिक गै,
यों आँख्यूं मा सिरप आस छोड़ी गै ,
आस का सारा लग्युं तु बौड़ि ऐ जै ॥
मन धीरज बाँधि सुपिन्यों मा ऐ जै,
प्रीत लगै ही यालि त पूरी निभै,
सारा त्यरा छ भारी सारू तोड़ी न द्यै ॥
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
मैं तैं माया समझावा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_ZjTH-S5U2OdwLMtNn3zjsjzW5uK-UUW3ik1eLS_K2bh3x0Ibe7OioC4iIMx_mxs-zVXLcYhLEXe34agWOhZ0bdUndfqDKGFDMr42p6C51WepMObrcfi4KJbeMmHLXuMBrQQTLfUYrkE/s1600/7.jpg)
हे जी ! माया न लगावा,
पैलि माया त निभावा,
उनि आँख्युन रिझावा,
अबत नेडू ऐई जावा,
मै तैं माया समझावा ।
होन्दी माया क्या अधीर ,
किलै तोड़ी देन्दि य धीर,
छोड़ि बौड़ी औन्दि नि फीर,
किलै होन्दु यनु बिंगैक जावा ,
मै तैं माया समझावा ।
क्या छ माया कु उलार,
बौड़ि ल्यौन्द मन मौळयार ,
पौजि जांदी सूखि नयार,
किलै औन्दि बौड़ी क्वी त बतावा ,
मै तैं माया समझवा |
मन होंदु नि जरा सबर,
रै नि सकदु कैका बिगर,
छुड़ै दींद गौं मुल्क घर
किलै छोड़ि देन्दा क्वी त बिंगावा ,
मै तैं माया समझवा ।
छ क्या जाणि येकु भेद
मन ही मन रान्दु अचेत
रान्दी कुछ पौणा कि आस,
किलै रोन्दि आस क्वी त बिंगवा।,
मै तैं माया समझावा
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मेल्वाड़ि घुघूती
मेल्वाड़ि घुघूती का सुणीक गीत ,
आँख्युन आँसू औन्दा अर मन मा प्रीत |
बसंत डांडयों मा औन्दू बौड़िक,
हर्षे सि मन जान्दु म्यारु बौळेक ,
जाणी क्या पहाड़ की प्यारी रीत ।
ह्युंदै लंबी लंबी राति नि कटेन्द,
मन ही मन मा खुद सै लेन्दी,
भारी खदेड़ हूदी रितु या शीत ।
सुपिन्या मन छखि सजै रखदी,
जाणि कुजाणि कि क्या द्याखदि,
वार रौन्दि ना पार छोड़ि दींदी बीच ।
बुरांस फ्योंलि फुलों की बहार,
मन तेन करी द्येन्दी ताजू तरार,
मन गान्दु सदानी पाड़ का गीत ।
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फेर बौड़ि ऐजा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgdsdsWe4xFl07lXVIhTsbcnnn_DcmlOTeL3QB5Q30Po1CubF-7Apvnqt8rwfAPC0jQkdRavnN4GqA2oIeIqx7YYJTDPN53irxrJxfFHYVw7-K7RL1nVsDH0o8IdFXFiulh5YmZnCjNWm8/s320/5.jpg)
रौड़ि धौड़ि ऐजा,
रौड़ि धौड़ि ऐजा ।
हे म्यरा बाळापन,
फेर बौड़ि ऐजा ॥
जब कबि बणु मा
गोरु चराई,
दगड़यों दगड़ा ,
करिनि लड़ाई।
वूँ दिनु कि याद,
सि मन तैं भिजै जा,
हे म्यरा बाळापन ,
फेर बौड़ि ऐजा ||
तांदयों का ,
लगाई गीत,
घिचि चुप रै ,
आंख्यूँ मा प्रीत ,
किलै छुटि आज
ऐ कि बतै जा ,
हे म्यरा बाळापन
फेर बौड़ि ऐजा ॥
खेल खेलि रैनि ,
जख हमुन,
किलै हुंयुँ होलु,
आज सून |
कख हर्चीनी ,
सी दिन,
ऐकि दिखै जा ।
हे म्यरा बाळापन,
फेर बौड़ि ऐजा ।
तेरी कन्नु छौउं ,
मैं फेर जाग,
अब हौर न लगौ ,
मनमा मा आग ।
मीरु बिछड्युं आज
मै तैं मिलै जा ।
हे म्यरा बाळापन,
फेर बौड़ि ऐजा ॥
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हिट पैट दूर दुन्यासि
हिट पैट दूर दुन्या सि
कखि जौला बसेरु
आँख्युन आँख्युन मा
छवीं बात लगौला
मन ही मनमा मनसि
माया तें लगौला
उखि रमि जौला डाइक डेरु
हिट पैट दूर दुन्या……
बण फौन पंछियों का
बैटी दगड़ा
गीत मिलिक
लगौला अपड़ा
बिसरी दुरंगी दुन्या कु फेरु
हिट पैट दूर दुन्या……
जख हो भल्लु
रिवाज अर रीत
मायादार बैख
आंख्युन मा प्रीत
खौ भौ न हो न तेरु मेरु
हिट पैट दूर दुन्या……
फूल ही न जख कांडों मा
भि फुलार हो
सच्चा मन वाळा सब्बि
न द्विरंगी यार हो
भेद भौ जाति थाती कु न हो फेरु
हिट पैट दूर दुन्या……
पाख्यों मा प्योंली हो
डाँडों मा बुरांश
मखमलि बुग्याळ हो
घुघती हिलांश
आदा हो न कुछ सब्बि हो पूरु
हिट पैट दूर दुन्या……
ठंडी हवा हो जख
छुयों कु ठण्डु पाणी
मन तेन रिझौण वाळी
मिट्ठी मिट्ठी बाणी
यक हैका बुल्यां कु माणु न बूरु
हिट पैट दूर दुन्या……
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कनक्वै होलु बिकास जी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTFXJ8NNWaLrY7Etp7LFFiwLkBhK5y6cnfHqrB131ZppVqYNu0nzhwO7pLp-8LiZQzX-E56hTqH2Z4of89BgkZ2odg_E-b1Floj8yppeK2zLYttWXD9xSy6itmqvyaDy1gV09clZaQPag/s1600/3.jpeg)
बुयां फुण्डत नजर नि पड़दी
सोचदा ऊँचा अगास की
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
गंगा रुक्यै गै डांडा कट्यै गै
डांडा कट्यै गै गंगा रुक्यै गै
बण हरु नि डाइयों सी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
जमीं विजवाड़ मा डांडू पढ़द
सियुं मनखी नि उठद
क्या करू यकुली क्वी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
घर बार सब्बि छुड़ि नैग्या
समलौण्या गौं ई रैग्या
क्या कन आस औणा की
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
फौन पंछी भी परदेस
आई कुजाणि कनि या मेस
गढ़ म्यारु छूटि गी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
देव भूमि म्यारी य प्यारी
लगणी अपड़ो सि हारीं
जाणी क्या आज इंतैं ह्वैगी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
भ्रष्टाचारि यख विचारी
गौं बाज़ार राज़ सारी
सब्बि कना सब्बि ब्वना छी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
नेता हमतें लुटदि रैगी
म्यरा भायों तुम क्या ह्वैगी
अबि लुटला और भी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
सुखि सुपिन्या हमुन दीखि
बस दिखदी ही रैगी
कबि पूरा हूला सोचणु छों मी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
उत्तराखंड का लोगों
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhsm1KjDnYGrh9MIttUrU_oQ3MWn1C3YnppqNn4MifSIoqjcROfO92-YxgTro6a-i-luKFGc61AlXWmKLuqUApe5fWG6NSpOh1SVmLqqkjOYm6RlykJ2N9MBv7mk3j99xBCkoyyp0MimI8/s1600/2.jpeg)
उत्तराखंड का लोगों जागिजवा
ह्वै जाण अबेर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
उत्तराखंड विकास का ई
कोरा सुपिन्या मन रिझाला
स्वैणु मा त विकास हुलू
वैणु मा कुछ नि पाला
वनि रै जाण तुमुन बिकास का बगैर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
नेतों का ई कोरा भाषण
सदानि कोरा ही रण
कागजों मा विकास हुलू
सच्ची मा नि द्यखण
बस उनि रै जाण हमुन विकास का बगैर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
छुड़िक प्यारु यू गढ़देश
चलि जाण सब्बुन परदेश
नि रालु क्वी अपणु हितेश
आलि जब इनि य मेस
ह्वै जाण भारी अंधेर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
निचंठ ह्वैक तेन न पोड़ा
उठी जावा अर दौड़ा
म्यरा ये पहाड़ तेन
ले द्यावा घर बौड़ा
बणि जावा डवलैर्
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
हक़ का खातिर अब बोला
यों नेतों कु भेद खोला
हिलि मिलि सब्बि रोला
आवा झठ अब सौं खोला
द्यबतों का मुंडेर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
बेटी हुंदी बिराणी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhdBvL0kVM80pHaeoyaV1aK1qcZLUiki6pDvkE4C4w7ipksUS2Xj4hvBAwRrryzYnVFnLUyR6zmphvHP4DCITvu3jJsDACOWHpJe5tfLrto1wsMKJNM_J8n1YCjF9szVVMdHWGRqYzz6uo/s320/1.jpg)
मन छ उदास ओणु आंख्युमा पाणी
जाणी ग्यों आज मै जाणी
बिटी हुंदी बिराणी बेटी हुंदी बिराणी
जा बिटी जा तू सैसर अपड़ा
खुश सबु दगड़ी रै
ब्वै बाबू जन सेवा लाड़ी
सै सौरों कि भी कै
याद जु मैताकि आली लाड़ी
आँसु नि बगाणी
जाणी ग्यों आज मै जाणी
बेटी हुंदी बिराणी बेटी हुंदी बिराणी
ब्याई तलक हमारी छाई
आज चलिगै सैसर
ये गौं गुठ्यार छुड़ि लाड़ी
चलिगै दूर मुलुक
दूर मुलुक नि अयैन्दु लाड़ी
आँखि बाटु खुजाणी
जाणी ग्यों आज मै जाणी
बिटी हुंदी बिराणी बेटी हुंदी बिराणी
तीरी याद हे म्यारी लाड़ी
मैतें छक्वेक रुळाणी
अब नि करद क्वी काम काज
अब नि ल्युंदु क्वी पाणी
यकुलि ल्युंदु मै घास लखड़ा
यकुलि काम धाणी
जाणी ग्यों आज मै जाणी
बिटी हुंदी बिराणी बेटी हुंदी बिराणी
अब कु बांधलु मीरी जिकुड़ी
थ्वड़ा सी भी धीर
आंखी द्यखणि हे मीरी लाड़ी
कब आलि बोड़ी तु फीर
बिटी विवाणा की पीड़ा भै लाड़ी
आज मैन पछाणी
जाणी ग्यों आज मै जाणी
बेटी हुंदी बिराणी बेटी हुंदी बिराणी
बिटी की पीड़ा ब्वै हि जणद
और नि जाणदु क्वी
बिटी की पीड़ा ब्वै ही सतान्दी
और नि सतान्दी कै
बिटी विवाण बाद मैतें
बिटी तु बौत याद आणी
जाणी ग्यों आज मै जाणी
बेटी हुंदी बिराणी बेटी हुंदी बिराणी
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
कु लिजालु मीरु रैबार
कु लिजालु मीरु रैबार
यों डाड्यों का पार
कु भग्यान हुलु यन
जू जालु म्यरा घोर
कु बांधलु निरास ब्वै बाबू तें
थ्वड़ा मीरी आस
कु द्यालु ऊंकी जिकुड़ी तें
थ्वड़ा सी बिसवास
कु जी बोललू गैल्या मा
मीरी जिकुड़ी कु प्यार
कु समझालु वे तें इन
नि कन मन उदास
कु बिंगालु भै बैणियों मा
म्यरा मन की बात
कु समझालु औंते यन
कि मिली रैण साथ
कु लिजालु गौं गळा मा
राजी खुशी म्यार
कु बतालु दौड़या दगड़ियों
म्यरा मन कु उलार
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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