रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Thursday, 21 May 2015
तू बोळ की आस मा
घणा बादळ छंटे जाला
त्यरा तै अगास मा ,
जी ले आज ज्यू भरिक
कब तलक मरेणू रालु
तू भोळ कि आस मा !!
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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