हिमालय कि पीड़ा तें शब्द देणा कि हिकमत कनु छों -
हिमालय अब बुढ्या ह्वैगी
कुछ नि द्यखणु छों
हिमालय बजरी बणितें
गदन्यों मा बगणु छों
हिमालय टूटी-टूटी आदा रैगी
फिर भी ह्यून ( बर्फ ) म्यटणु छों
दुन्या निचंत ह्वेकी सैगी
पर हिमालय जगणु छों
हमते त बाटू बतैगी
अपु बाटू बिरढयों छों
हमारी त तीस बुजैगी
अपु पाणी पाणी रटणु छों
रस कस गंगाळु बगिगै
फिर बि रसिलो लगणु छों
साक्यो बटी हमते सजैगी
अब हमतें छमणु छों
प्रभात सेमवाल (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित