रैबार

Wednesday, 30 October 2013

हिमालय himalay
















हिमालय कि पीड़ा तें शब्द देणा  कि हिकमत कनु छों -


हिमालय अब बुढ्या ह्वैगी

कुछ नि द्यखणु  छों

हिमालय  बजरी बणितें

गदन्यों मा बगणु छों


हिमालय टूटी-टूटी आदा रैगी

फिर भी ह्यून ( बर्फ ) म्यटणु छों

दुन्या निचंत ह्वेकी सैगी

पर हिमालय जगणु छों


हमते त  बाटू बतैगी

अपु बाटू बिरढयों छों

हमारी त तीस बुजैगी

अपु पाणी पाणी रटणु छों


रस कस गंगाळु बगिगै

फिर बि रसिलो लगणु छों

साक्यो बटी हमते सजैगी

अब हमतें छमणु छों



      प्रभात सेमवाल (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित