बाँज डाई उदास घुघूती हिलांश !
डंड्यों मा खुदेणा खिल्यां बुरांश.!!
अब क्यकन कैका ओणाकि आस !
टूटी जांदू ये मन कु विश्वास. !!
कख गै स्य बसंत ऋतूराज़ !
पोडिगै कख निचन्त स्य आज !!
हर्ची कख गै बरख्याऊ चोमास !
मिलिगै कख वे यनु अयास !!
डांडी खोजणि मन कु उयार !
कख गै स्य बसग्यलि नायर !!
फोन पंची चलि उडिगै अगास !
रैगै ये मन अब इखारी साँस !!
ओंदु ये मन मा भारी उमाव !
मेरा नि इ पहाड़ का विचार !!
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