रैबार

Thursday, 21 May 2015

औ धौं तोड़ी मेरि आस













औ धौं तोड़ी  मेरि आस ,
रै गेन  अब आखिरि सांस !!

ब्याळी तक थौ हरु भरु ,
आज जमीं छ सूखि घास !!

द्यो द्यबता  पूज्येनि  मिन ,
जरा  नि पाई कैकु जस !!

सारू त्यारू अब रैगी सिरप
बाकि कैकु नि रै बिस्वास ॥

ऐजा झट अर भुझै  दे अब ,
म्यरा जिकुड़ा की प्यास ॥

        प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित