हे जी ! माया न लगावा,
पैलि माया त निभावा,
उनि आँख्युन रिझावा,
अबत नेडू ऐई जावा,
मै तैं माया समझावा ।
होन्दी माया क्या अधीर ,
किलै तोड़ी देन्दि य धीर,
छोड़ि बौड़ी औन्दि नि फीर,
किलै होन्दु यनु बिंगैक जावा ,
मै तैं माया समझावा ।
क्या छ माया कु उलार,
बौड़ि ल्यौन्द मन मौळयार ,
पौजि जांदी सूखि नयार,
किलै औन्दि बौड़ी क्वी त बतावा ,
मै तैं माया समझवा |
मन होंदु नि जरा सबर,
रै नि सकदु कैका बिगर,
छुड़ै दींद गौं मुल्क घर
किलै छोड़ि देन्दा क्वी त बिंगावा ,
मै तैं माया समझवा ।
छ क्या जाणि येकु भेद
मन ही मन रान्दु अचेत
रान्दी कुछ पौणा कि आस,
किलै रोन्दि आस क्वी त बिंगवा।,
मै तैं माया समझावा
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