बौळयूँ पराण त्यारू खौल्यूँ रैजाण ,
यक दिन सब्बि इखि छूटि जाण ॥
यु मनखि जनम करि ले तु करम ,
फेर नि पाण तिन फेर नि पाण ॥
कर दया धरम दुःखौ न कैकु भरम,
तब पछताण तिन तब पछताण ॥
लोभ लालच कु त्यारू सैरु फेरु,
इखि छूटि जाण चुचा इखि छूटि जाण ॥
ये जंजाळ मा अळझि अळझि ,
उनि रै जाण तेरि कुटीं पिसीं घाण ||
मान सम्मान झूठो मैं मैं कु ज्ञान ,
छोड़ि दे आज म्यारु बोल्यूं माण ॥
सुखों की खाण तेरि नि औण्या काम ,
जब छुटला पराण दगड़ा कैन नि जाण ॥
बौळयूँ पराण त्यारू खौल्यूँ रैजाण ,
यक दिन सब्बि इखि छूटि जाण ॥
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित