रैबार

Thursday, 21 May 2015

बौळयूँ पराण त्यारू खौल्यूँ रैजाण ,















बौळयूँ पराण त्यारू खौल्यूँ  रैजाण ,
यक दिन सब्बि इखि छूटि जाण ॥

यु मनखि जनम करि ले तु करम ,
फेर नि पाण तिन फेर नि पाण ॥

कर दया धरम दुःखौ न कैकु भरम,
तब  पछताण तिन तब  पछताण ॥

लोभ लालच कु त्यारू सैरु  फेरु,
इखि छूटि जाण चुचा इखि छूटि जाण ॥

ये  जंजाळ मा अळझि अळझि ,
उनि रै जाण तेरि कुटीं पिसीं घाण  ||

मान सम्मान  झूठो मैं मैं कु ज्ञान ,
छोड़ि दे आज  म्यारु बोल्यूं  माण ॥

 सुखों की खाण तेरि नि औण्या  काम ,
जब छुटला पराण दगड़ा कैन नि जाण ॥

बौळयूँ पराण त्यारू खौल्यूँ  रैजाण ,
यक दिन सब्बि इखि छूटि जाण ॥



          प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित