तेरि आँख्यून मैं तैं गैल्या प्रीत सिखै ।
प्रीत सिखै तिन गैल्या बिसरी न जै ॥
म्यरा मन नि पत्ता थो प्रीत क्या छै,
पर तेरि मिठ्ठी छुयूँन मैं तैं अळझै,
अब मन ख्याल आई जब तु नेडू नि रै ॥
बेखबर ये मन तें तु लूटि ल्ही गे ,
आँख्यूं आँख्यून तिन माया बिंगै,
अब समझु माया आई मन दियालि त्वै ॥
हरा भरा म्यरा मन तिन आग लगै
आग लगै तैंन गैल्या फेर नि बुझै,
जगदु मन फेर भि त्यारी जाग कन्नु रै ॥
बाळु पराण तू क्वांसु करिक गै,
यों आँख्यूं मा सिरप आस छोड़ी गै ,
आस का सारा लग्युं तु बौड़ि ऐ जै ॥
मन धीरज बाँधि सुपिन्यों मा ऐ जै,
प्रीत लगै ही यालि त पूरी निभै,
सारा त्यरा छ भारी सारू तोड़ी न द्यै ॥
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित