उत्तराखंड का लोगों जागिजवा
ह्वै जाण अबेर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
उत्तराखंड विकास का ई
कोरा सुपिन्या मन रिझाला
स्वैणु मा त विकास हुलू
वैणु मा कुछ नि पाला
वनि रै जाण तुमुन बिकास का बगैर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
नेतों का ई कोरा भाषण
सदानि कोरा ही रण
कागजों मा विकास हुलू
सच्ची मा नि द्यखण
बस उनि रै जाण हमुन विकास का बगैर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
छुड़िक प्यारु यू गढ़देश
चलि जाण सब्बुन परदेश
नि रालु क्वी अपणु हितेश
आलि जब इनि य मेस
ह्वै जाण भारी अंधेर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
निचंठ ह्वैक तेन न पोड़ा
उठी जावा अर दौड़ा
म्यरा ये पहाड़ तेन
ले द्यावा घर बौड़ा
बणि जावा डवलैर्
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
हक़ का खातिर अब बोला
यों नेतों कु भेद खोला
हिलि मिलि सब्बि रोला
आवा झठ अब सौं खोला
द्यबतों का मुंडेर
कब तलक सुपिन्या द्याखला
कब होली सबेर
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित