रैबार

Thursday, 21 May 2015

फेर बौड़ि ऐजा
















रौड़ि धौड़ि ऐजा,
रौड़ि धौड़ि ऐजा ।
हे म्यरा बाळापन,
फेर बौड़ि ऐजा ॥


जब कबि बणु मा
गोरु चराई,
दगड़यों दगड़ा ,
करिनि लड़ाई।
वूँ दिनु कि याद,
सि मन तैं  भिजै जा,
हे म्यरा बाळापन ,
फेर बौड़ि ऐजा  ||  

तांदयों  का ,
लगाई गीत,
घिचि चुप रै ,
आंख्यूँ मा प्रीत ,
किलै छुटि आज
ऐ  कि बतै जा ,
 हे म्यरा बाळापन
फेर बौड़ि ऐजा ॥

खेल खेलि रैनि ,
जख हमुन,
किलै हुंयुँ होलु,
आज सून |
कख हर्चीनी ,
सी दिन,
ऐकि दिखै जा ।
हे म्यरा बाळापन,
फेर बौड़ि ऐजा ।


तेरी कन्नु छौउं ,
मैं फेर जाग,
अब हौर  न लगौ ,
मनमा मा आग ।
मीरु बिछड्युं आज
मै तैं मिलै जा ।
हे म्यरा बाळापन,
फेर बौड़ि ऐजा ॥

             प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित