मेल्वाड़ि घुघूती का सुणीक गीत ,
आँख्युन आँसू औन्दा अर मन मा प्रीत |
बसंत डांडयों मा औन्दू बौड़िक,
हर्षे सि मन जान्दु म्यारु बौळेक ,
जाणी क्या पहाड़ की प्यारी रीत ।
ह्युंदै लंबी लंबी राति नि कटेन्द,
मन ही मन मा खुद सै लेन्दी,
भारी खदेड़ हूदी रितु या शीत ।
सुपिन्या मन छखि सजै रखदी,
जाणि कुजाणि कि क्या द्याखदि,
वार रौन्दि ना पार छोड़ि दींदी बीच ।
बुरांस फ्योंलि फुलों की बहार,
मन तेन करी द्येन्दी ताजू तरार,
मन गान्दु सदानी पाड़ का गीत ।
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