रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Friday, 21 October 2011
स्या बोनी थे . sya boni the
स्या बोनि थे कि तिन जिन्दगी मा
बहुत कुछ पाई !
शयाद वीं तें मेरु पोणु हि दिखै
खोयुं देखिनि पाई !
विन बसंती खिल्यां फूल त दैखि
बसग्याल देखिनि पाई !
विन हैंसदि मेरी अन्ख्यों मा
जग्वाल देखिनि पाई !
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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