बुयां फुण्डत नजर नि पड़दी
सोचदा ऊँचा अगास की
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
गंगा रुक्यै गै डांडा कट्यै गै
डांडा कट्यै गै गंगा रुक्यै गै
बण हरु नि डाइयों सी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
जमीं विजवाड़ मा डांडू पढ़द
सियुं मनखी नि उठद
क्या करू यकुली क्वी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
घर बार सब्बि छुड़ि नैग्या
समलौण्या गौं ई रैग्या
क्या कन आस औणा की
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
फौन पंछी भी परदेस
आई कुजाणि कनि या मेस
गढ़ म्यारु छूटि गी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
देव भूमि म्यारी य प्यारी
लगणी अपड़ो सि हारीं
जाणी क्या आज इंतैं ह्वैगी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
भ्रष्टाचारि यख विचारी
गौं बाज़ार राज़ सारी
सब्बि कना सब्बि ब्वना छी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
नेता हमतें लुटदि रैगी
म्यरा भायों तुम क्या ह्वैगी
अबि लुटला और भी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
सुखि सुपिन्या हमुन दीखि
बस दिखदी ही रैगी
कबि पूरा हूला सोचणु छों मी
ईन छ हाल म्यरा पहाड़ का
कनक्वै होलु बिकास जी
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