कैसि लगौंण माया
कैकि करण आस
द्धिरंगी दुन्या मा
कैतेन बोलण खास
मुख मा हैंसी ल्येकी
चित्त चूरी की लिगी
नि आई फिर बौड़िक
करिगे मन निरास
सुपिन्या दिखे जून गैणोका
बुझेगै मेरा घर कु दिया
छूड़ीक मैतेन मीरी धरती मा
फुर उड़िगे अगास
सों बड़ा बड़ा खैकी
अगने पिछने कुछ नि देखी
साथ सदानि निभोण कु
तोड़ी गै विशवास
अब मै भी मजबूत ह्वेगी
सारा कैका नी रैगी
भरोषु अप्पू पर भारी
नि कैकि तलास
प्रभात पहाड़ी (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षि