रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Friday, 14 November 2014
जिंदगी नि होंदि
सिरप ज्युंदु रैणु जिंदगी नि होंदि
मेरा गैल्यों
सिरप मरी जाणु हि मोत नि होंदी
मेरा गैल्यों
क्वी - क्वी ज्युंदु रै भि मरी जान्दु
अर क्वी मरिक भि ज्युंदु रै जान्दु
प्रभात पहाड़ी (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित
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