पांच साल बाद जब मै अपड़ा गौं मा गै गौं का हाल दिखी मन का क्या हाल ह्वे वैतें कविता कु रूप देणा कोसिस -
गौं छुड़ि जब बरसौ बाद
गौं मा गे मै फिर आज
दिखी मैन गौं गुठ्यार
आँख्यु आई अंसधार
दिखी मैन कणादी ब्वै
बाबा जी लाचार
पूछि मैन ओतें जब
कैछ तुम उदास
नि दि सक्या मैतेन ई
कुछ भी जबाब
दिखी मैन कुडू अपडू
धुरपई कि पटाळ
दिखी मैन चूंदा अपड़ा
सारा ई बितर
रिंगदी रै आँख्यु म्यरा
स्या सुनी तिबार
दिखी मैन बांजी सग्वाड़ी
बांजी सैरी सार
दिखी मैन सुखा बोण
सुखी हेरी धार
बचपन का दिनों की मैतें
आई फिर याद
सूखा धारा दिखी मैन
सूखा सी पन्यारा
सूखी गाढ़ दिखी मैन
सूखा ई गदरा
डाँडयों मा भी दिखी मैन
ह्यूं (बर्फ )नि वार पार
देवतों का मन्दिर गे जब
पंचो की थात
कख गे होलू सूची मैन
ऊ पुराणु रिवाज
र्ची गैन सब्बी अब
बार अर त्योहार
सूची मैन मन ही मनमा
करी घड़ेक बिचार
समलौण्या रे जाण अब
सैरा ई पहाड़
समलौण्या रे जाण अब
ई गौं गुठ्यार
प्रभात पहाड़ी (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित
गौं छुड़ि जब बरसौ बाद
गौं मा गे मै फिर आज
दिखी मैन गौं गुठ्यार
आँख्यु आई अंसधार
दिखी मैन कणादी ब्वै
बाबा जी लाचार
पूछि मैन ओतें जब
कैछ तुम उदास
नि दि सक्या मैतेन ई
कुछ भी जबाब
दिखी मैन कुडू अपडू
धुरपई कि पटाळ
दिखी मैन चूंदा अपड़ा
सारा ई बितर
रिंगदी रै आँख्यु म्यरा
स्या सुनी तिबार
दिखी मैन बांजी सग्वाड़ी
बांजी सैरी सार
दिखी मैन सुखा बोण
सुखी हेरी धार
बचपन का दिनों की मैतें
आई फिर याद
सूखा धारा दिखी मैन
सूखा सी पन्यारा
सूखी गाढ़ दिखी मैन
सूखा ई गदरा
डाँडयों मा भी दिखी मैन
ह्यूं (बर्फ )नि वार पार
देवतों का मन्दिर गे जब
पंचो की थात
कख गे होलू सूची मैन
ऊ पुराणु रिवाज
र्ची गैन सब्बी अब
बार अर त्योहार
सूची मैन मन ही मनमा
करी घड़ेक बिचार
समलौण्या रे जाण अब
सैरा ई पहाड़
समलौण्या रे जाण अब
ई गौं गुठ्यार
प्रभात पहाड़ी (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित