रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Tuesday, 16 October 2012
जीवन jeewan
जीवन का बाटा सौंगा नि
तु हिटदि रै कबि रुकि न
बसंत ओण कु यक बक्त होंदु
बसंत ओण सि पैलि सुखि न
खैरी हजार मिललि त्वैसणि
खैर्यों द्याखी कबि लुकि न
बैरी त्वै मिटाण ताक मा रैला
मीटि जै पर कबि झुकि न
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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