कैका सारा रैकी क्यकन !
बांजा पुगणो करीक धाणी
नि पै कैन न त्वेन पाणी
कुछ कर और सैत जिति जालू
योंकि आस मा तिन पछताणी
बाटु अपड़ू अफ्वे खोजण त
कैका सारा बैठी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !
आसो का रौला मारिक गोउता
नि बची क्वी तिनभि डूबी जाण
द्याखदि रालि त्यरी दुन्या त्वै
त्यरी आस तब टूटी जाण
खैरी अपड़ी अफ्वे झैलण त
कैकु बाटु दैखी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !
भरोषु कैकु अपुसि ज्यादा
न कैर ह्वै जाण तिन आदा
रूठी जाण त्यरून त्वै सी
याद रै जाण करयां वादा
सैरी उमर भुखु रैण त
कैका बांटा खैकी क्यकन !
पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका सारा रैकी क्यकन !
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