रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Friday, 13 July 2012
त्यरा जाणा tyra jana
त्यरा जाणा
की पीड़ा सि ज्यादा
ख़ुशी त्यरा
ओणा सि होणि छ !
आंसू अंख्यों
तब भि थे आजभि
फरक बस
यतगा तब पीड़ा का
आज ख़ुशी
का आंसू रोणि छ !!
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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