रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Wednesday, 11 July 2012
पिड़ा pida
पिड़ा अपड़ी त
सारै हि जांदि
पिड़ा अपणों की
नि सारि पौंदु
न बाँटी सकदु
न साँटी सकदु
मन हि मनमा
छ्क्वेक रौंदु
प्रभात सेमवाल ( अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित
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