पहाड़ ब्वनु -
छोडि त्वेन मै
मैन त्वै कबि नि छोडि
मै आज भि
तेरी जाग तू आई नि बोडि
पहाड़ ब्वनु -
दूर मुल्क जैकि
दुरी त्वेन मै सि बणाई
मैन फिर बि
रीस्तु नातू त्वेसि नि तोडि
पहाड़ ब्वनु -
बाटू त्यारू जाणि
कब बीटि देखुणु छ
एक तू जब बीटि गै
एकबार भि मुख नि मोडि
प्रभात सेमवाल ( अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित