रैबार

Thursday, 5 July 2012

जरा सि पंख jara si pankh

 












 जरा  सि  पंख  क्या  लग्या

  वैतें धरती हि अजाणि लगि


पाई पोषी यत्गा लायक बणाई

वैतें  स्य माँ  भि  बिराणि लगि


बाबा जी की आँसुं लिखि चिट्टी

वैतें झूटी बणाई काहाणि लगि 


ब्याळी मिलि ज्यू वैतें आज स्य

खास  अपडी  अर  पछाणि लगि


पहाड़ अर पहाड़ी वैतें पिछडियां

पहाड़ियों  कि सोच पुराणि लगि


कैकि छविं बात वैं क्य जी स्वेण

वैतें बस अपड़ी बात सयाणि लगि

           प्रभात सेमवाल ( अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित