जरा सि पंख क्या लग्या
वैतें धरती हि अजाणि लगि
पाई पोषी यत्गा लायक बणाई
वैतें स्य माँ भि बिराणि लगि
बाबा जी की आँसुं लिखि चिट्टी
वैतें झूटी बणाई काहाणि लगि
ब्याळी मिलि ज्यू वैतें आज स्य
खास अपडी अर पछाणि लगि
पहाड़ अर पहाड़ी वैतें पिछडियां
पहाड़ियों कि सोच पुराणि लगि
कैकि छविं बात वैं क्य जी स्वेण
वैतें बस अपड़ी बात सयाणि लगि
प्रभात सेमवाल ( अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित