रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Thursday, 17 May 2012
मेरु क्या कसूर meru kya kasur
मैन कभी कैसी प्यार नि कै थो
आज हव़े ग्याई त मेरु क्या कसूर .?
मैन कभी कैकी आंख्यों मा नि देखि
आज देखि ल्याई त मेरु क्या कसूर ?
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
Newer Post
Older Post
Home