रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Thursday, 4 August 2011
रुले जांदा rulai janda
उडदा पंछियों
का गैल
सुखी डालियों
का छैल
माया नि लाण इ
रुले जांदा
झट भुले जांदा .
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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