सुख खोजाणी ई आंखी छ
यों खेरिका अंधेरों मा
बाटो खोजाणी क्वी राँकी छ ,
यों पीड़ा का पाखो मा
मेरी पीड़ा त सग्वाड्डी छे
यों उदाशी का घटो मा
मेरी उदाशी त भग्वाड्डी छे
यों आशुं का तालो मा
मेरा आंशु त गागर सि छे
यों इकुलांश का रगों मा
मेरु इकुलांश त जगर सि छे
मैन सोची दुन्याँ खुश होली
पर या त मैसी भी निराश छे .
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