रैबार

Thursday, 14 May 2015

म्यारु यु पहाड़
















बारा मैनों बारा मास
ह्यूंद जाडु चौमास
कतगा खुश मिजाज
म्यारु यु पहाड़

ओंदी जब बसंती बहार
ल्यै दीन्दी चोदिसों फुलार
कन ये मन तें रिझोन्दि
औन्दु भारी उलार

चलदी ठंडी हवा सरसर
उड़ोन्दी यों डळियों फरफर
नै उमंग बांटी दीन्दी
यों खाळ धार

जब लगदी बरखा की झड़ी
काठ्यों भी ह्यून औन्दु पड़ी
आँखि द्याखदी रैन्दी खड़ी
तै ऊँचा हिवाँल

चौमासी जब दिन बौड़द
गाड़ गद्न्या सब्बी पौजद
काखुड़ी मुंगरी लगी जांद
म्यरा गौं गुठ्यार

बोड़ी ओन्दा थोळा मेळा
सब्बी जान्दा गौ खोळा
जख द्याखा रोळा रोळा
स्यु कनु भलु रिवाज

बोड़ी ओंदी यगास बग्वाळ
ऐ जांदा सब्बी घार
हिली मिली मनोंदा गैल
सब्बी बार त्यौहार

प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित