रैबार

Wednesday, 13 May 2015

रैबार














आयुं छः आयुं घोर बिटि मैकरैबार
झठ ओधु बौड़िक तु ऐजा झठ घार

ब्वै बाबू निरास ह्वेकि द्यणा मैक रैबार
झठ ऐजा बिसरी गै हम तीरी अनवार

भै भुला भी ब्वना म्यरा खुद लगीं छ भारी
बंडी बर्ष बीति गै नि द्याखी अनवार तुमारी

दगड़ा का दगड़िया हुयां भारी लाचार
ब्वना कख हर्ची गै त्यरा सी पहाड़ी विचार

फूल डाई त्वै खोजणी खोज्णु गौं गुठ्यार
फोनु पंछी मा त्यरा बिगर नि दिखेंणु उलार

गौं गळा भी ब्वना किलै छोड़ी हम आज
कख गै सी त्यरा खाँया-करयां सौं करार

कै निर्दै निठुर ह्वै तु किलै नि करदु याद
क्या यतगा झठ बिसरी गै उ दिन बार

सारा लग्यां त्यरा सब बांधिक आस
ऐजा बौड़िक बुलोणु त्वै सेरु गौं गुठ्यार

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