रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Saturday, 11 August 2012
किलै kilai
किलै वैतेन सदनी जागदि रै मन
जैन कभि भि मीरि जाग नि कै .
किलै वैतेन आंसू बगाणु रै हरघड़ी
जैन कभि भि मैतेन याद नि कै .
किलै वैका सारा हिटणु रै हरपल
जैन कभि भि मीरू साथ नि दै ,
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
Newer Post
Older Post
Home