रैबार

Tuesday, 3 July 2012

सोची थो sochi tho















सोची थो

वींकि समंदर

सि आंख्यों मा

जरा सि किनारू 

मिली हि जलु  !



 बर्षो बिटि

यकुली मेरा

पराणी तें

जरा सि सहारू

मिली  हि जलु  !!



खोजाणी छ बाटू

आंखी मेरी भि

वींकि अंख्यों सि

जरा सि अयारू

मिली हि जलू ! 



मंजिल मिलु

य फिर  न मिलु

बस ज्युणा  कु

जरा सि गुजारू

मिली ही जलू !

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