रैबार

Tuesday, 5 June 2012

हिम्मत himamt














हिम्मत तें कन्क्वे हिम्मत दैण

हिम्मत नि होणि !

पिड़ा तन मा वै का  छन  अर

आँखी मैरी रोणि  !! 


घैल पराणी का हाल घैल दुन्याँ

तें क्या बताण !

न आज तक कैन समझि  न अब

कैन समझि  पाण !!


हम तन द्वी छन पर मन एक छे

 कैतें दिखै  नि पाई !

बस यकुलि सिखदी हि रै मै पर 

कैतें  सिखै  नि पाई !!

         प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित