रौंत्यालु टोक्यो भि सुनु लगणु
त्वे सि मिलणा का बाद
बोड़ी आई फिर त्वे छोड़ी तें मै
यकुली जब यख आज .
इ ऊँची -ऊँची ईमारत भि छोटी छ
लगणि तेरी खुद का ऐथर ,
इ रोशनि भि फिखि छ दिखेणी अँख्यों
बासिं तेरी तसबीर का पैथर .
हवा सि छिविं लान्दी इ लंबी लंबी रेल भि
धीमी छ लगणी तेरा क्वाब मा
समंदर की लहरों मा खेलणा इ खैल भि
नि रसा छ लगणा तेरी याद मा
लगणा सकुरा का खिल्यां चोदिशो फुल भि
तेरी आंख्यों फुलार सि कम
लगाणि बर्फ सि बरीं फुजी सान की डंडी भि
तेरा मयला उलार सि कम
योंकू अथिति सत्कार बोलण बच्याण कु प्यार भि
कुछ नि तेरा प्यार समणी
हर बक्त मुख मा हेंसी योंकु मन मा विचार भि
कुछ नी तेरा विचार समणी .
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