रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Wednesday, 11 April 2012
स्यु मेरु कभि खास थो अब नि syu meru kabhi khas tho ab ni
स्यु मेरु कभि खास थो अब नि
मै भि वेकु खास थो अब नि
कुछ बक्त बदली कुछ बदली भाग
न स्यु जागी जरा मैसी नि हवे जाग ,
वनि मन मेरु जळी वनि वें लगै आग
वनि सुरु वेका हर्ची वनि में लुकै राग
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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