रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Sunday, 8 April 2012
मैन जब main jab
मैन जब अगने बढना की सोची
मेरु बाटू रुकै गैन .
मैन नयु रूप बणोण कु सोची
मेरु रंग लूकै गैन .
मै जब भि रोई दुनियान मैतैं
हमेसा सरू ही दिनि पर
जणि किलै आज मेरी ख़ुशी बोड़ी आई
अर दुन्याँ रुसै गैन
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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