दुनियाँ का लाख मनोण -बुजोण का बाद भि
कभि कभार यु पापी मन अपु सि रुटी जांदू !!
दुनियाँ कि नजरों सि लुकाईं डाकाईं स्य
कभि कभार खास अपडु हि लुटी जांदू !!
प्राणु सि भि प्यारु जै तें हम मणदा छन
कभि कभार सबकुछ गैल रैन्दु उ छूटी जांदू !!
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित