रैबार

Thursday, 21 May 2015

चौमास















चौमास डांड्यों मा फेर बोड़ी एैगी
रुण झुण बरखा डांड्यों मा लैगी

हरी भरी ह्वैगी गौं-गौं की सार
पकिगै डाल्युं मा कफाळ हिंसर
बसंत भि उनि चौदिसों फैलिगी

फेर बोड़ी एैगी धारूं मा पाणी
लग्यां छ सब्बि काम अर धाणी
गाढ़ गदरा भि उनि फेर पौजिगी

धै दुधा मौज डांड्यों नैगी म्वार
वनि लगणी छ बरखा घनघोर
धरती मा भि जगु जगु छुंया फुटिगी

सग्वाडियों मा काखुड़ी मुंगरी लगिगी
साग सब्जी अब घर मा ही ह्वैगी
घास पात भि अब नीडु हि जमिगी

                      प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित