चौमास डांड्यों मा फेर बोड़ी एैगी
रुण झुण बरखा डांड्यों मा लैगी
हरी भरी ह्वैगी गौं-गौं की सार
पकिगै डाल्युं मा कफाळ हिंसर
बसंत भि उनि चौदिसों फैलिगी
फेर बोड़ी एैगी धारूं मा पाणी
लग्यां छ सब्बि काम अर धाणी
गाढ़ गदरा भि उनि फेर पौजिगी
धै दुधा मौज डांड्यों नैगी म्वार
वनि लगणी छ बरखा घनघोर
धरती मा भि जगु जगु छुंया फुटिगी
सग्वाडियों मा काखुड़ी मुंगरी लगिगी
साग सब्जी अब घर मा ही ह्वैगी
घास पात भि अब नीडु हि जमिगी
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