रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Friday, 20 July 2012
जाग्यौं थो jagyon tho
बर्षो बिटि जाग्यौं थो
आज आई त कुछ बोली नि पाई
जुग बिटि ख्वजणु थो
आज मिलि भि त मोली नि पाई
मनमा राखि थै ज्वा बात
आज फिर विंका समणि खोली नि पाई
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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