रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Thursday, 10 May 2012
मुख माँ हेंसी ल्येक भि mukh ma hensi lyek bhi
मुख मा हैंसि ल्येक भि मन का आंसु नि थमेंद
चाहे कर ल्ये तू लाख जतन !
पिड़ा पराणी मा हो त अखियों बाटा नि दिखेंद
चाहे कत्गाभि गैरा घो हो तन . !!
प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
Newer Post
Older Post
Home