रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Tuesday, 3 April 2012
बिराणु तें birano ten
बिराणु तें अपणु बाणणे की कोशिस मा
कतगा आपणु को बिराणु हवे ग्याई मै,
कै तें जरा घड़ेक हेसाणे का खातिर मा
सदनी की ख़ुशी सी ही अजाणु हवे ग्याई मै
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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