रैबार

Thursday 21 May 2015

खुद khud
















ऐगी  खुदेड़ मैनु
खुद लगीं छ भारी
कब द्याखि होलु मैत
द्याखि होलु कभारी

याद औन्दु मैतें बौत
मैत्या गौ गुठ्यार
याद ओंदी मैतें बौत
सी मैत्या सारी

बौड़ी ओन्दा बार त्यौहार
मन लग्युं रैंदु  सारा
कब आला ल्यण वाळा
आस रैंदी मन भारी

टुट्यां मन धीरज धैरी
सारी लैंदु खैरी सैरी
करी जाग बोळ की
मनतें दींदु आज मारी

             प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित