रैबार

Thursday 21 May 2015

चलि गै जु chali gai ju















चलि गै जु वैका ओणा आस क्य कन
न रवै न रवै ये तेन ही बोल्दा जीवन
मन मा रै जान्दु सोच्युं थो जु मन
न रवै न रवै ये तेन ही बोल्दा जीवन

क्य त्यारू क्या कैकु  क्वी दोष
युत बांधयुं विधाता कु बंधन
चलि गै जु वैका ओणा आस क्य कन
न रवै न रवै ये तेन ही बोल्दा जीवन

त्यारू म्यारु यु त्यारू अर म्यारु
जनम जनमों कु रिस्तु नि छन
चलि गै जु वैका ओणा आस क्य कन
न रवै न रवै ये तेन ही बोल्दा जीवन

होंस उलार य उलारया होंस
नि रैंदी सदानि नि ये योवन
चलि गै जु वैका ओणा आस क्य कन
न रवै न रवै ये तेन ही बोल्दा जीवन

गाणयों का ई स्याणियों का सागर
नि हुंदा कम जनि का था तन
चलि गै जु वैका ओणा आस क्य कन
न रवै न रवै ये तेन ही बोल्दा जीवन


चलि जांदु जु छुडिक चलि जांदु
नि ओंद बोड़िक समझोण मन
चलि गै जु वैका ओणा आस क्य कन
न रवै न रवै ये तेन ही बोल्दा जीवन

                   प्रभात सेमवाल (अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित