अंख्यों मा छपीं
तीरि अन्वार मिटोण
त मुसकिल थो
फिरभि मिटोण पड़ी !
मन मा बसाईं
तीरि छविं बात भूलोण
त मुसकिल थो
फिरभि भुलोण पड़ी !
दुन्या समाज छोड़ी
त्वै तेन पोणु
त मुसकिल थो
फिरभि दुनिया छोडि
तेरा बाना अर त्वै बातोण पड़ी !
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित