रैबार

Monday 13 August 2012

मुसकिल थो muskil tho


















अंख्यों मा छपीं

तीरि अन्वार मिटोण

 त मुसकिल थो

फिरभि मिटोण पड़ी  !


मन मा बसाईं

तीरि छविं बात भूलोण

 त मुसकिल थो

फिरभि भुलोण पड़ी !


दुन्या समाज छोड़ी

त्वै तेन पोणु

त मुसकिल थो

फिरभि  दुनिया छोडि

तेरा बाना अर  त्वै बातोण पड़ी !

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