रैबार

Thursday 5 July 2012

मन का मंदिर man ka mandir













मन का मंदिर

तें छोड़ी

मनखियों का

बणाया

मंदिर मा किलै

छ जाणु !


बर्षो बिटि घर

यकुलि  छ

ब्व़े बाबू तेरा

तेरि  आस मा

मंदिरों जैकी

क्या जी पाणु  !!

        प्रभात सेमवाल (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित