रैबार

Thursday 11 December 2014

कैसि लगौंण माया kaisi lagon maya


















कैसि  लगौंण  माया
कैकि करण  आस
द्धिरंगी दुन्या  मा
कैतेन बोलण खास

मुख मा हैंसी ल्येकी
चित्त चूरी की लिगी
नि आई फिर बौड़िक
करिगे मन निरास

सुपिन्या दिखे जून गैणोका
बुझेगै मेरा घर कु दिया
छूड़ीक मैतेन मीरी धरती मा
फुर उड़िगे अगास

सों बड़ा बड़ा खैकी
अगने पिछने कुछ नि देखी
साथ सदानि निभोण कु
तोड़ी गै विशवास

अब मै भी मजबूत ह्वेगी
सारा कैका नी रैगी
भरोषु अप्पू पर भारी
नि कैकि तलास


                प्रभात पहाड़ी (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षि