रैबार ( raibar )
गढ़वाली कविता अर गीत . प्रभात सेमवाल ( अजाण )
रैबार
Sunday 13 May 2012
माँ ma
मन मा रखि मन कि
बोलि नि पाई
मेरी जरा सी हेंसी का खातिर
जणी कुजाणी कत्गा खैरि खाई
मन की मयाली माँ
फिर याद आई
प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित
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