रैबार

Thursday 4 October 2012

कैका सारा रैकी क्यकन kaika sara raiki kyakan

















पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका  सारा  रैकी  क्यकन  ! 

बांजा पुगणो करीक धाणी 
नि पै  कैन  न त्वेन पाणी 
कुछ कर और सैत जिति जालू 
योंकि आस मा तिन पछताणी 
बाटु अपड़ू अफ्वे खोजण त 
कैका सारा  बैठी क्यकन  !

पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका  सारा  रैकी  क्यकन  ! 

आसो का रौला मारिक गोउता 
नि बची क्वी तिनभि डूबी जाण 
द्याखदि रालि त्यरी दुन्या त्वै 
त्यरी आस तब टूटी जाण 
खैरी अपड़ी अफ्वे झैलण त 
कैकु बाटु दैखी क्यकन  !

पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका  सारा  रैकी  क्यकन  !

भरोषु कैकु अपुसि ज्यादा 
न कैर ह्वै जाण तिन आदा 
रूठी जाण त्यरून त्वै सी 
याद रै जाण करयां वादा
सैरी उमर भुखु रैण  त  
कैका बांटा खैकी क्यकन !

पीड़ा अपड़ी अफ्वे काटण त
कैका  सारा  रैकी  क्यकन  ! 


          प्रभात सेमवाल ( अजाण )सर्वाधिकार सुरक्षित